बोलो तो
तुम ये खामोशी तोड़ एक बार बोलो तो सही।
बन्द पड़े ये लब तुम एक बार खोलो तो सही।।
खता अनजाने में ही सही गर हो गई हमसे।
हमें परखो तुम सिर्फ एक बार तोलो तो सही।।
वफ़ा की कसौटी पर खरे उतरेंगे ये यकीं है हमें।
खामोशी तोड़ कर बोलोगे तुम ये यकीं है हमें।।
बेवफ़ा हम भी नही तुम भी नही दोनों जानते हैं।
पहले वाला समय फिर लौटेगा ये यकीं है हमें।।
वीर कुमार जैन ‘अकेला’