बोली है अनमोल
सोच समझकर बोलिए, बोली है अनमोल।
मीठे मीठे बोल से , सदा अमृत रस घोल।।
जीवन में भरते नहीं, कटु बोली के घाव।
सोच समझकर बोलिए, तुम बोली के भाव।।
आदर सबका कीजिए, करो नहीं अपमान।
आदर करने से मिले, हमको भी सम्मान।।
मीठी बोली से खुले, बंद ह्रदय के द्वार।
दुश्मन शत्रुता छोड़कर, बन जाते है यार।।
आओ बोले प्रेम से, प्रेम जन्म का सार।
नफरत करने में नहीं, लगे सुखद संसार।।
—- जेपी लववंशी