*बोर हो गए घर पर रहकर (बाल कविता/ गीतिका )*
बोर हो गए घर पर रहकर (बाल कविता/ गीतिका )
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(1)
बोर हो गए घर पर रहकर ,विद्यालय अब जाएँ
कक्षा में टीचर जी आकर फिर से हमें पढ़ाएँ
(2)
मिले हुए हो गया जमाना ,कब से दोस्त न दीखे
वही पुराने हँसने – गाने के दिन वापस आएँ
(3)
हे भगवान सुनो बच्चों की ,अब हो खत्म कोरोना
मिलें-जुलें आपस में खुशियाँ बाँटें और मनाएँ
(4)
घर पर बैठे – बैठे मोबाइल से हुई पढ़ाई
सोच रहे इस आफत .से छुटकारा कैसे पाएँ
(5)
गली – मोहल्ले के बच्चों के साथ रुकी गपशप है
काश पुराने दिन फिर लौटें ,ऊधम खूब मचाएँ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451