“बोझ”
पति-पत्नी के बीच आपसी कलह को सुनकर लोक अदालत के जज साहब बोले ” आज की पत्नी अपने पति पर बोझ बनना नहीं चाहती।वह स्वयं कमाना जानती है, और अपने अधिकारों से वाकिफ़ है। लेकिन पति अपनी पत्नी की कमाई पर निर्भर नहीं होना चाहता। न ही वह उसकी कमाई से राशन लाना चाहता , वह चाहता है पत्नी उससे अपना हक़ मांगे पत्नी अपनी कमाई को खुद सहेजकर रक्खे भविष्य के लिए । साथ ही वह यदि व्यवसाय या नौकरी करती है तो वह घर सँभालने का दायित्व भी निभाये , हाँ ऐसे पतियों की संख्या भी कम नहीं होगी जो पत्नी की कमाई पर ही निर्भर हैं किंतु स्वाभिमानी पुरुष ऐसा नहीं करता। सम्मानपूर्वक वह उसे उसका हक देना चाहता है जो परंपरा से होता आया है।पत्नी आज सेविका भी बनना चाहती है और स्वावलंबी भी ,अभाव उसे बर्दाश्त नहीं । यही आपके झगड़े की मूल जड़ है।” दंपति को काउंसलर के पास जाकर मशविरा करने को कहा गया।