माता पिता पर हाइकु
??
न होता कभी
प्रेम जिसका कम
वह होती माँ
??
न पिता जैसा
अमीर दुनिया में
बच्चों के लिए
??
फिर क्यों है ये
आज की युवा पीढ़ी
बड़ी निष्ठुर
??
कर रही है
घर से बेघर वो
प्रिय जनों को।
??
इतिहास भी
दोहराया जाएगा
है बात पक्की।
??
तेरी संतान
पूर्वजों का बदला
लेगी तुझसे।
??
तुझको भी वो
तार तार करेगी
तेरी तरह।
??
तू तडपेगा
उनकी ही तरह
बेघर होगा।
??
जरा सोचते
जो आज बो रहे हो
कल काटोगे।
??
तुम आज ये
पीड़ा न पाते होते
अपनों से ही।
??
दिया है दर्द
अपनों को तुमने
वही पाओगे।
??
इसे कहेंगे
भैया बुरे काम का
बुरा नतीजा।
??
जैसा करोगे
वैसा फल पाओगे
पछताओगे।
??
संभल जाओ
दो सहारा उनको
सुख पाओगे।
??
———रंजना माथुर
दिनांक 07/07/2017 को मेरी स्व रचित व मौलिक रचना।
@copyright