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2 Sep 2024 · 1 min read

बैठे बैठे कोई ख़याल आ गया,

बैठे बैठे कोई ख़याल आ गया,
क्यों ज़िंदा हूं मैं फिर सवाल आ गया।

ज़िंदगी किस तरह गुज़ारते है,
ज़िंदगी भर न ये मलाल आ गया।

झूठ बोला है कोई आईना वर्ना,
दिल में कैसे उबाल आ गया।

वो जो थोड़ी सी ज़मीं थी मेरे नाम,
आसमाँ की तरफ़ उछाल आ गया।

क्यूँ ये तूफान सा है आँखों में,
मुस्कुराए थे कब हम ख़याल आ गया।

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