बैठे बैठे कोई ख़याल आ गया,
बैठे बैठे कोई ख़याल आ गया,
क्यों ज़िंदा हूं मैं फिर सवाल आ गया।
ज़िंदगी किस तरह गुज़ारते है,
ज़िंदगी भर न ये मलाल आ गया।
झूठ बोला है कोई आईना वर्ना,
दिल में कैसे उबाल आ गया।
वो जो थोड़ी सी ज़मीं थी मेरे नाम,
आसमाँ की तरफ़ उछाल आ गया।
क्यूँ ये तूफान सा है आँखों में,
मुस्कुराए थे कब हम ख़याल आ गया।