बैठी रहो कुछ देर और
बैठी रहो कुछ देर और, प्यार तुमसे जी भर कर लूँ ।
लेकर बाँहों में तुमको, चाहत दिल की पूरी कर लूँ।।
बैठी रहो कुछ देर और—————-।।
हाथों से चिलमन बनाकर, चेहरा मुझसे मत छुपाओ।
नजरें तुम मुझसे मिलाकर, अपने लबों को करीब लाओ।।
सहलाने दो जुल्फें और गाल,अपने अंग जीभर मैं भर लूँ।
बैठी रहो कुछ देर और————–।।
अच्छा लग रहा है मुझे, मुझसे तुम्हारा यह शर्माना।
चांद सा यह चेहरा तुम्हारा, रोशन है देखो यह कितना।।
गौरे तुम्हारे इस बदन से, चाहत मैं तन की पूरी कर लूँ।
बैठी रहो कुछ देर और ——————–।।
उम्रभर का रिश्ता है अपना, बन्धन कभी यह टूटे नहीं।
कैसी भी हो चाहे मुसीबत, एक दूजे से हम रूठे नहीं।।
तुम हो मेरे दिल की धङकन, ख्वाब हसीन मैं पूरा कर लूँ।
बैठी रहो कुछ देर और ———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)