“बैगन का पेड़”
संस्मरण
“बैगन का पेड़”?
बात करीब 1983 की रही होगी।
गर्मी की छुट्टियां थी। हम सब परिवार के बच्चे एक साथ मिलकर खेलते थे।
डिप्टी गंज में पीछे की तरफ खेत थे , हम सबने वहां जाने का प्लान बनाया और दोपहर होते ही हम सब वहां चल दिए, एकदम सन्नाटा था। वहां बैगन के पेड़ थे। देखकर लालच आ गया और खेत में से 1.. 2 छोटे छोटे पेड़ निकाल लिए .. और भाग आए ..चोरी जो की थी।? घर आकर पेड़ गमले में लगा दिया?
तभी मेरी नज़र अपने पैर की पायल पर पड़ी एक पायल नहीं थी…वो वहां खेत गिर गई थी।
हम सब फिर से गए ..पायल ढूंढने के लिए .. मेरी तो रुलाई छूट रही थी ?.. घर पर डांट पडने का डर जो था।
लेकिन कुछ और भी घटना था।वहां के काम करने वाले ने हम सबको पकड़ लिया ,अब तो खूब डांट लगी। पास के शास्त्री अंकल जी ने बचाया ?
वह खेत भी देवराज अंकल का था ..तो घर तक पता चल गया ।
पर आज भी हँसी बनतीं है कि एक बैगन का पेड़ एक चांदी की पायल देके लाई।
ये घटना मन में आज भी तरोताजा है। ??
✍वैशाली रस्तौगी
जकार्ता
4.12.2020