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19 Sep 2020 · 2 min read

बैंग्लौर दंगे को ऐसे समझिए |

क्या आपको याद है कि पिछले महिने में बैग्लौंर में दंगा फसाद हुआ था ? यदि यह याद है तो आपको ये भी याद होगा कि यह दंगा क्यों हुआ था ? यदि आप यह भी जानते है तो बहुत बेहतर है वर्ना कुछ लोग तो अपनी निजी जिंदगी में इतने व्यस्त हैं कि उन्हे ये भी पता नही है की फेसबुक पर किसी बाद विबाद में फंसकर अगर आपने जवाब में कुछ कह दिया चाहे वह सत्य ही क्यों न हो तो एक समुदाय विशेष कि हथियारबंद भीड़ सड़कों पर उतर जाएगी और आपका घर जला देगी या शायद आपको पिट पिट कर मार ही डाले |

मगर यहां सोचने वाली बात तो यह है कि एक फेसबुक कमेंट को पढ़कर इतनी जल्दी भीड़ आयी कहां से वो भी खास एक शांती प्रिय समुदाय विशेष की जो भारत कि मुख्य मिडिया कि नजरों में हमेशा बगुसंख्यकों के द्वारा सताई ही गयी है | मुझे यह लगता है कि ये समझने के लिए आपको दिल्ली दंगों को समझना पडे़गा | जी हां यदि आपकी स्मृति से यह बात निकल गई हो तो मै आपको याद दिलाना चाहुंगा कि दिल्ली में भी दंगे हुए थे हिंन्दु विरोधी दंगे जिसमें पचास से ज्यादा लोग मारे गए थे | दिल्ली के हिंन्दु विरोधी दंगों के बारे में मैने अपने इसी लेख सिरीज अप्रकाशित सत्य में विस्तार पुर्वक चर्चा कि है आप चाहें तो पढ़ सकते हैं |

अब आप कहेंगे के दिल्ली के हिन्दु विरोधी दंगे और बैंग्लौर दंगे के मध्य क्या संबंध है तो वह संबंध है मजहबी कट्टरपंधी विचारधारा का मजहबी उन्माद का और देश विरोधी षणयंत्र का वर्ना यू हि एक छोटा सा फेसबुक कमेंट जो आमतौर पर महिनों में भी हजारों लोगो तक नही पहुचता वह कुछ ही घंटों में हजारों कि विभिन्न तरीके की हथियारबंद भींड़ को कैसे इकट्ठा कर सकता है | क्या आपको नही लगता कि इसमें ‘कुछ तो गड़बड़ है दया , कुछ तो गड़ब़ड़ है’ |

और इसमें एक परिदृश्य यह भी है कि मजहब विशेष के कथित चोर की मॉब लिचिंग पर , मजहब विशेष की एक बच्ची के मंदिर में बलात्कार पर पुरे हिन्दुओ को कटघरें में खडा़ करने वाले , रेप इन देविस्तान कहने वाले , असहिष्णुता बढ़ गई है कहने वाले , प्रस्तावित एनआरसी तथा सीएए का विरोध करने वाले वालीबुड के कुछ लोग तथा मिडिया वर्ग बैग्लौर दंगे पर खामोंश रहे तथा किसी ने भी अपना पुरस्कार वापस नही किया या किसी की पतंनी ने शायद उनसे देश छोड़कर जाने के लिए नही कहा तथा यहा किसी कि अभिव्यक्ति की आजादी भी नही छीनी गई और सबसे बडी़ बात लोकतंत्र कि हत्या भी नही हुई |

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 191 Views
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