"चैन से इस दौर में बस वो जिए।
बैठा के पास पूंछ ले कोई हाल मेरा
बुंदेली दोहे- रमतूला
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
खामोशी इबादत है ,सब्र है, आस है ,
कर्म प्रकाशित करे ज्ञान को,
उनसे कहना वह तो तुम थे ...
नाकाम
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
तेरी इस बेवफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
चांद सितारे चाहत हैं तुम्हारी......