बे-पर्दे का हुस्न।
औरत तब तक औरत रहती है।
जब तक उस में गैरत बसती है।।
बे-पर्दे का हुस्न नंगापन होता है।
आंचल में इसे इज्जत मिलती है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍बेज
औरत तब तक औरत रहती है।
जब तक उस में गैरत बसती है।।
बे-पर्दे का हुस्न नंगापन होता है।
आंचल में इसे इज्जत मिलती है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍बेज