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19 Aug 2016 · 1 min read

बेहोश सा जीता हूँ,,,

ये बेचैनी का सबब है क्या
मन में उठा बवंडर है क्या

कुछ छूटता सा लगता है
कुछ अंदर टूटा है क्या

बहुत समेटता हूँ जज्बातों को
आज फिर बिखरा है क्या

अनजानी सी खोज में भटकता हूँ
आज फिर कुछ दिखा है क्या

बेहोश सा जीता हूँ
तुम्हें भी लगा है ये रोग क्या
,,,,लक्ष्य
@myprerna

Language: Hindi
292 Views
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