बेहद-सुकून #100 शब्दों की कहानी#
विकास आज फिर पत्नी ज्योती पर नाराज़ हो रहा था, शाम को ऑफिस के बाद तुम जाती कहां हो ? घर में बच्चों की परीक्षा चल रही, ऊपर से मां-बाबुजी का ध्यान रखना, खाना बनाना और इन सबके बीच तुम्हें अपना भी ख्याल रखना है न ? ज्योती थोड़ा रूककर कहती है, सरप्राइज है ।
दूसरे दिन ज्योती सासु-मां को मेडिकल-जांच के लिए ले जाती है, तभी “अनाथाश्रम से फोन आया”, जिन बधिर बच्चों को पढ़ाया ज्योती ने वे अव्वल नंबरों से उत्तीर्ण हुए । ज्योती के आते ही विकास बोला, “इस सरप्राईज से वाकई मिला मन को बेहद-सुकून ।