बेहतर
मीठे तम से
कड़वे सच की
भोर
बहुत ही बेहतर है।
फूल दिलों के
गूँथे जिसमें
डोर
बहुत ही बेहतर है।
कच्ची डोरी
रिश्तों की
टूटती देख भी
ना टूटी,
ऐसी ज़ालिम ख़ामोशी से
शोर
बहुत ही बेहतर है।।
संजय नारायण
मीठे तम से
कड़वे सच की
भोर
बहुत ही बेहतर है।
फूल दिलों के
गूँथे जिसमें
डोर
बहुत ही बेहतर है।
कच्ची डोरी
रिश्तों की
टूटती देख भी
ना टूटी,
ऐसी ज़ालिम ख़ामोशी से
शोर
बहुत ही बेहतर है।।
संजय नारायण