बेहतर है गुमनाम रहूं,
बेहतर है गुमनाम रहूं,
यूं ही बदनाम रहूं,
कर ले लोग अगर मुझसे किनारा
खुद में खोया सुबह शाम रहूं।
– अमित पाठक शाकद्वीपी
बेहतर है गुमनाम रहूं,
यूं ही बदनाम रहूं,
कर ले लोग अगर मुझसे किनारा
खुद में खोया सुबह शाम रहूं।
– अमित पाठक शाकद्वीपी