*बेहतर समाज*
जनजन अब यूँ अनुशासित हो
शिक्षा, संस्कार सर्व ज्ञापित हो
नव परिवेश, भविष्य सजायें
आओ समाज बेहतर बनायें।
दया,नेह, सम्मान सिखलायें
सब को सदमार्ग दिखलायें
जागे इक उज्जवल आशा
बदले व्यवहार की परिभाषा
जिम्मेदारी सब मिल उठाये
समाज में भागीदारी निभायें
असुरक्षा, भय से रहित बनें
सौहार्द्र, प्रेम सहित ही रहें।
मनुज अंशदान महत्वपूर्ण
सदाचार, सृजन से परिपूर्ण
उचित समुचित की तैयारी
कदम उठायें बारी बारी
नारी का सदा सम्मान रहे
गृह,सदन में तब मान रहे
हिंसा,विवाद का त्याग करें
आचार, संस्कार याद रखें
इक नव निर्माण आरंभ यूँ करें
बेहतर समाज का प्रारंभ करें
अंधकार, बुराई ध्वस्त करें
नैतिक मार्ग तब प्रशस्त बने।
शिक्षा,नवाचार का आलोक भरें
अज्ञान रूपी तिमिर दूर करें
शिक्षा संस्कारों की है जननी
दुराचार, बुराइयों की दमनी
सब को संस्कार सिखलायें
संबंधों की महत्ता बतलाएं
वरिष्ठ जनों का आदर करें
मान, सम्मान का भाव रखें
बेहतर समाज की नींव सजायें
आओ सुनहरा कल बनायें
प्रवृतियों का परिमार्जन करें
नवीन कार्यों का सृजन करें।
✍️”कविता चौहान”
इंदौर (म.प्र)
स्वरचित एवं मौलिक