बेहतरीन थे हम
किसी का इश्क तो
किसी का ख्वाब थे हम I
बीते दिनों में आशिक
खुशमिजाज थे हम I
हमारी चाहत में रहतीं थीं
हुस्न की परियां अक्सर
हमारे गांव के मिजाज-ए-शानदार
इंसान थे हम I
तुम्हारे गोद में सिर रखकर
सो जाता था अक्सर
तुम्हारे इश्क में किस कदर
डूबे थे हम I
अब बस खुद को तसल्ली देते हैं
ज़माने में कभी बेहतरीन थे हम I
(शिव प्रताप लोधी)