बेवजह मुस्कुरा लो
तुम चुपके से दर्या ए अश्क छुपा लो
वजह नहीं मिलती बेवजह मुस्कुरा लो
इसी बहाने निहार लेना मुझको भी
मेरी इन आंखों को आईना बना लो
हो जाओगे बरबाद हीर रांझे सा
यारों इश्क की गली है नजर झुका लो
फुर्सत किसे यहां मुलाकात करने की
अच्छा है खुद को अपना यार बना लो
इक बार दरस की चाहत है महादेव
दुष्यंत को केदार के धाम बुला लो
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल