Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Sep 2024 · 2 min read

बेरोजगारी

#ये_लड़के_बेरोजगारी_का_बड़ा_मोल_चुकाते_है

ये कैसा युग आया है अब माता-पिता ने बेटियाँ नही बेरोजगार बेटों के बोझ से कंधा झुकाया है
बेटियाँ नाज़ों से पली फिर एक दिन उनकों ब्याहा हैं
पर बेटों की चिंता में उम्र का कितना हिस्सा गंवाया है
बेटे भी चिंता में रात दिन घुलते है रोजगार मिले उन्हें
जी जान से वो कोशिश करते है ।

पर मायूस लौट पिता की सूनी आँखे देख एक बार
फिर से वो जीते जी मरते हैं आखिर क्या जवाब दे
हर दिन इसी उधेड़ बुन में वो बेचारे रहते है ।
कितनों ने तो खुद को फंदे से लटकाया है
राम जाने ये कैसा कलयुग आया है…

सभी को बेहतर बनने की होड़ लगी हैं पीछे कोई
छूट के गिर जाए आखिर किसको पड़ी है।
माँ ने गहने बेच पिता ने पढाई कर्जा लेकर भी
पूरी करवायी हैं फिर भी बेटों के नसीब मे लिखीं
जानें क्यूँ बेरोजगारी हैं।

रात -दिन एक कर पढ़ लिख जब वो इस लायक बनते हैं
माता पिता को हर सुख दे एक सपना आँखों में पालते हैं
किसी प्रेमिका के सपने भी इनके हिस्से ना आते है
प्रेम भी बेचारे ये कहाँ कर पाते है
तब उनके हिस्से आती सिर्फ बेरोजगारी है।
दोगले समाज वाले भी बेरोजगारी का ठप्पा लगाते है
जैसे कोई पाप का कलंक इनके माथे पे लिख जाते है।

टूटे सपने, सूनी आँखे, टूटती उम्मीद, बिखरे से
लोगों से वो खुद को छुपाते फिरते हैं, ये लड़के भी ना
अकेले मायूस से कितना कुछ सहते हैं।
दस वेकेंसी में दस लाख लोगों की भावनाओं से ये लोग
खेल जाते हैं ये लड़के भी एक तिनके सी उम्मीद में
क्या से क्या कर जाते है ।

कौन है जो इनकी भावनाओं का मोल समझेगा
हर दिन टूटते बिखरते इनके आसुओं को कौन पोछेगा
कितनी ही जिम्मेदारियाँ काँधो पे लिए ये मुस्कुराते है
ये लड़के भी ना बेरोजगारी का बहुत बड़ा मोल चुकाते हैं।
सच में ये लड़के भी ना जीवन में बहुत बड़ा मोल
चुकाते है….
🖤🍁🖤

Language: Hindi
58 Views

You may also like these posts

मासी मम्मा
मासी मम्मा
Shakuntla Shaku
शीर्षक:कोई चिट्ठी लिख देते
शीर्षक:कोई चिट्ठी लिख देते
Harminder Kaur
आदमी बेकार होता जा रहा है
आदमी बेकार होता जा रहा है
हरवंश हृदय
लोग एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त हुए
लोग एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त हुए
ruby kumari
"आँसू "
Dr. Kishan tandon kranti
तुम हज़ार बातें कह लो, मैं बुरा न मानूंगा,
तुम हज़ार बातें कह लो, मैं बुरा न मानूंगा,
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
shabina. Naaz
कहते  हैं  रहती  नहीं, उम्र  ढले  पहचान ।
कहते हैं रहती नहीं, उम्र ढले पहचान ।
sushil sarna
कर (टैक्स) की अभिलाषा
कर (टैक्स) की अभिलाषा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जीत का विधान
जीत का विधान
संतोष बरमैया जय
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
🍁
🍁
Amulyaa Ratan
आज के समाज का यह दस्तूर है,
आज के समाज का यह दस्तूर है,
Ajit Kumar "Karn"
*तरह-तरह की ठगी (हास्य व्यंग्य)*
*तरह-तरह की ठगी (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
तंत्रयोग,अर्धनारीश्वर और ट्विन फ्लेमस की अवधारणा (Tantra Yoga, Ardhanarishvara and the Concept of Twin Flames)
तंत्रयोग,अर्धनारीश्वर और ट्विन फ्लेमस की अवधारणा (Tantra Yoga, Ardhanarishvara and the Concept of Twin Flames)
Acharya Shilak Ram
शिक्षकों को प्रणाम*
शिक्षकों को प्रणाम*
Madhu Shah
सफ़र ठहरी नहीं अभी पड़ाव और है
सफ़र ठहरी नहीं अभी पड़ाव और है
Koमल कुmari
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल
Ranjeet kumar patre
कैसे हुआ मै तुझसे दूर
कैसे हुआ मै तुझसे दूर
Buddha Prakash
10.. O God
10.. O God
Santosh Khanna (world record holder)
श्री राम वंदना
श्री राम वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
जीवन एक युद्ध है...
जीवन एक युद्ध है...
पूर्वार्थ
अनजान राहों का सफर
अनजान राहों का सफर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
प्रेम
प्रेम
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
बुंदेली दोहा- चंपिया
बुंदेली दोहा- चंपिया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
Shweta Soni
कांतिपति की कुंडलियां
कांतिपति की कुंडलियां
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
कब मेरे मालिक आएंगे!
कब मेरे मालिक आएंगे!
Kuldeep mishra (KD)
ख़ामोश
ख़ामोश
अंकित आजाद गुप्ता
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
Suryakant Dwivedi
Loading...