बेबस…
यूँ इसकदर हैराँ न हो
रातों की स्याही देखकर…
एक बुझते से अलाव के सहारे
रात गुजारनें को जिंदगी बेबस है…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
यूँ इसकदर हैराँ न हो
रातों की स्याही देखकर…
एक बुझते से अलाव के सहारे
रात गुजारनें को जिंदगी बेबस है…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’