बेपर्दा औरतें ऐसी नही होतीं
बेपर्दा औरतें ऐसी नही होतीं
बेपर्दा औरतें ऐसी नही होतीं
वों तो कहकहे लगाती हैं जमाने के सामने
इनकार कर देती हैं उन रवायतों को मानने से
जो उन्हें रोकते हैं जमाने के साथ कदम मिलाकर चलने से
अपने वजूद को पहचानने से
वो बड़ी बेबाकी से चिल्लाकर ना कहतीं हैं
उन लोगों को जो उन्हें बोलने नही देते
गाने नही देते हंसने नही देते
वो काट डालती हैं ऐसे पिंजरों को जो उन्हें कैद करना चाहते हैं
वो अपने चेहरों को नकाबों से ढकती नही हैं
वो चार लोगों के कुछ कहने की परवाह नही करती
वो किसी से डरती नही हैं
वो परवाह करती हैं तो बस अपनी
अपनी आजादी की
अपनी खुदमुख्तारी की
एक अजीब सी बगावत होती हैं उनमें
गज़ब की अना होती है उनमें
नही , ऐसी नही होतीं
बेपर्दा औरतें