” बेटी “
घर आँगन में मुस्कानों से ही खुशियाँ भर लेतीं हैं,
भाग्य नहीं सौ-भाग्य है माँ का बेटी जन्म जो देती है,…. 2
सुने परायी हूँ बचपन से फिर भी प्यार लूटाती हैं ,
सुख हो या दुख हो जीवन में हर पल साथ निभाती हैं,
नन्हें -नन्हें हाथों से वो माँ का हाथ बटाँती है,
पिता की सेवा करने को बेटों से पहले आती हैं,
लोभ नहीं करती कोई बस मोह के धागे धरती हैं ,
मात -पिता को सदा ही बेटी रब से आगे रखती है,
देश का गौरव बनी बेटियाँ संग – संग कदम मिलाती हैं,
बोझ है बेटी इन किस्सों को करतब से झुठलाती हैं,
अब धरती से अंबर तक देखो बेटियाँ मान बढ़ाती हैं,
विश्व के कोने में भारत का शान बढ़ाती हैं,
सूझ -बुझ से मुश्किल राहों को आसां कर लेती हैं,
भाग्य नहीं सौ-भाग्य है माँ का बेटी जन्म जो देती हैं………..