बेटी
बेटी
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(लावणी छंद)
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चिड़ियों के बिन सूना आँगन, कलियाँ बिन सूनी डाली ।
कन्या के बिन सूना लगता, पूरा घर आँगन खाली ।।
जब ये किलकें खेलें चहकें, तृप्त नयन हो जाते हैं ।
जीवन में जब पुण्य फलें तो,कन्या का फल पाते हैं ।।1
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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