बेटी पर गीत
पूनम के चांद सी आभा है तू ,
घर आंगन की शोभा है तू ,
भोली भाली प्रतिभा होकर,
सरल सहज सुजान है बेटी… ;;
ईश्वर का वरदान है बेटी…!!
दिव्य सुगंधित फुलवारी है,
मधुर मधुर सी किलकारी है,
बंशी के वादन मे मुखरीत,
सरस्वती का गान है बेटी… ;;
ईश्वर का वरदान है बेटी…!!
अपने पिता की आन है बेटी,
घर की रखती शान है बेटी,
माँ बापू के संस्कार का,
करती सदा सम्मान है बेटी… ;;
ईश्वर का वरदान है बेटी….!!
बहु बनकर ससुराल मे जाती,
ग्रह लक्ष्मी फिर वहाँ कहाती,
सेवा करती सब परिजन की,
रखती सबका ध्यान है बेटी… ;;
ईश्वर का वरदान है बेटी…!!
कविता लेखन की सृष्टी मे,
“रसिया कान्हा” की दृष्टि मे,
सुंदर शब्द की रचना होकर,
कविता का अभीमान है बेटी… ;;
ईश्वर का वरदान व बेटी…!!