बिदाई-गीत
विधा-लावणी
विदाई- गीत
छोड़ आपका आंगन बाबुल, ये लाडली तेरी चली।
देख जा रही तेरी बिटिया,जो नाज से घर थी पली।।
भूल क्या हुई माता मुझसे
त्याग क्यों तू मुझको रही।
कहती थी तू प्यारी बिटिया
अब क्यों घर से भेज रही।
कहते सब क्यों मुझे पराया
मैं तो तेरी बिटिया हूँ।
तेरी ही बगिया की बाबुल
एक अभागन चिड़िया हूँ।।
समझे ना पीड़ा कोई मेरी, थी मैं दुआओं से फली।
छोड़ आपका आंगन बाबुल, ये लाडली तेरी चली।।
माँ तात की प्यारी बिटिया
क्यों हो गयी पराई है।
प्रिय भाई तेरी बहना में
क्या हो गयी बुराई है।।
उपवन बाग बाटिका देखो
मुझसे हैं यह पूंछ रहे।
जीवन के मेरे सुरीले
साज यही हैं पूंछ रहे।।
जा रही क्यो छोड़ के अपना, ये घर आंगन और गली।
छोड़ आपका आंगन बाबुल, ये लाडली तेरी चली।
छोड़ गांव की मिट्टी को वो
देख पिया के साथ चली।
महके जो खुशबू बनकर उस
बाग की मैं नाजुक कली।।
दुनियां की इन रीतों को है
बिटियों को सदा निभाना।
छोड़ एक दिन बाबुल का घर
बेटी को पिय घर जाना।।
सदाचार शुचि रखना पिय घर, करना रोशन नाम लली।
छोड़ आपका आंगन बाबुल, ये लाडली तेरी चली।।
स्वरचित:-
अभिनव मिश्र”अदम्य✍️✍️
(शाहजहांपुर)