बेटी की अहमियत
‘बेटी की अहमियत”
मुझे गर्व है कि मैं बेटी हूं और मुझे सौभाग्य भी प्राप्त है कि मेरी दो बेटियां है। हम पढ़ लिखकर बहुत विद्वान मानने लगे हैं खुद को। चर्चा करके खुश होते है कि हमारे देश की बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। सम्मान प्राप्त कर रही है गोल्ड मैडल ला रही है। देश का नाम ऊंचा कर रही है लेकिन मैंने देखा है कि ये बेटियां बहुत से लोगों को सिर्फ दूसरों के घरों में ही अच्छी लगती है। पढ़े लिखे होने के बावजूद भी हम इस बात से भाग रहे है। पढ़ी लिखी माँए भी बेटी पैदा करने से डरती है, बेटी पैदा होने पर शौक प्रकट करती हैं। ऐसी माओं को देखकर मेरी पुरुषों से ये शिकायत दूर हो गयी है कि वो बेटे को ज्यादा क्यों मानते है। एक घटना ने दिमाग में कई सवाल पैदा कर दिए हैं।
क्या बेटी को जन्म देना दुर्भाग्य है?
क्या बेटी के जन्म पर माँ का शौक मनाना वाजिब है?
क्या वो माँ किसी की बेटी नही ?
जो माँ ये मानती है कि बेटी को जन्म देने से उनका अस्तित्व खत्म होगया क्या वो माँ असल में माँ कहलाने के लायक हैं?
क्या एक माँ अपनी बेटी को उसका वजूद दिलाने के लिए लड़ने की हिम्मत नही रखती?
अगर हम नारी पढ़ लिखकर भी यहीं खड़ी रही तो धिक्कार है हमे नारी होने पर। धिक्कार है हमारे उस हक पर जो भगवान ने हमे अपनी कोख से औलाद पैदा करने का सुख दिया। धिक्कार है हमें उस चर्चा में शामिल होने पर जिसमें बेटियों की तारीफ की जाती है। मेरी सोच में बेटी किसी भी तरह बेटे से कम नही है। हर सुख दुख में वो हमारे साथ खड़ी मिलती है। हमारे आंसू पोछने के लिए पहला हाथ हमारी बेटी का उठता है। बेटी कमजोरी नही हमारी मजबूती है। बस उन्हें जरूरत है तो हमारे प्यार की और हमारी अच्छी परवरिश की।
क्यों मानती हो इन्हें तुम अंधियारा, गगन में चमकता हुआ चांद है ये बेटियां।
यू ही बेसुरा सा स्वर समझ लिया, मीठा गुनगुनाता हुआ साज हैं ये बेटियां।।
जब तक नारी बेटी को अपने दिल में समूची जगह नही देगी तब तक बेटी को समाज मे भी समूचा स्थान नही मिलेगा। जिस दिन माँ बेटी को पूरी तरह स्वीकार कर लेगी उसदिन किसी पुरुष की हिम्मत नही कि वो बेटी को माँ की कोख में ही मरवाएगा, किसी में हिम्मत नही कि वो बेटी को पैदा होने पर नही अपनाएगा और हक बेटी को दिलवाने के लिए माँ को आगे बढ़ना होगा। एक घटना ने मर्माहत किया और ये कहने को मजबूर हुई:-
पैदा किया जब अपनी कोख से, फिर क्यों तूने ही शौक मनाया।
क्यो दोष दे रही अब पुरुष को, जब तूने ही दिया उसे बढ़ावा।।
सुषमा मलिक, रोहतक
महिला प्रदेशाध्यक्ष CLA