बेटी का होना
बेटी का होना,घर आँगन का सौंदर्य बढ़ जाना
बेटी का हँसना, पुष्प लताओं का खिलना
बेटी का पढ़ना, समानता की ओर बढ़ जाना
बेटी का बढ़ना,क्षितिज की ओर चढ़ जाना
बेटी ब्याही गयी जब, पिता के निकेतन से दूर हो जाना
ब्याही बेटी का जीवन निरंकुश सा लगता
सपनों को छोड़ ब्याही गयी आशाओ के घर में
सकून सा नहीं पिता के घर का ममता नहीं माँ के प्रेम का स्वतंत्रताओ का रुक जाना, कर्तव्यों का बढ़ जाना जिम्मेदारीयों का गढ़ जाना
बेटी ब्याह गयी जब
बेटी सौभाग्य हैं, बेटी का कभी बेटा बन जाना कर्तव्य हैं
बेटी कभी कठोर हैं, तो कभी हृदय की कोमलता
बेटी को समझ पाना सहज नहीं
बेटी ब्याही जाना अच्छा सही
इसे सही दृष्टि कोण से देख पाना हर किसी का बस नहीं
बेटी का सम्मान रहें, मुस्कराहट रहें, मधुरता रहें
तब बेटी का जीवन सम्पन्न रहें।।
रचना:-@प्रकाश_