बेटी का सम्मान
कुण्डलिया
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खूब करें हम हर जगह, बेटी का सम्मान।
और करें पूरे सभी, जीवन के अरमान।
जीवन के अरमान, बढ़ रही बिटिया आगे।
सभी क्षेत्र में खूब, भाग्य उसके हैं जागे।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, सुपथ पर कदम धरें हम।
तनया का दें साथ, कार्य शुभ नित्य करें हम।
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संस्कृत की तनया हमें, देखो रही निहार।
भाषा है यह हिन्द की, खूब कीजिए प्यार।
खूब कीजिए प्यार, रचें अनुपम रचनाएं।
हर मन में सम्मान, इसी हित सभी जगाएं।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, बात हिन्दी के हित की।
बेटी है अतिश्रेष्ठ, स्वयं देखो संस्कृत की।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य