बेटियां
गर्भ में पल रही, एक नन्ही कली,
पुष्प शतदल रही, एक नन्ही कली,
मोह छूटे नहीं,लोभ टूटे नहीं,
गोद में छल रही, एक नन्ही कली।
हर्ष से तुम पलो,खुश रहो,खुश रहो।
प्यारी बेटी चलो, खुश रहो खुश रहो।
जन्म लेना सफल, तब पिता मात का।
न्यारी बेटी फलो, खुश रहो खुश रहो।
साथ परिवार है, साथ झूला किये।
हाथ पीले हुये, साथ दूल्हा किये
धन्य हैं बेटियाँ ,पाक उनके कदम।
छोड़ दें मायका, याद मन में लिये।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम