बेटियां
मनहरण घनाक्षरी – बेटियां
कलिया को खिलने दो,पौधे अब उगने दो।
बेटी को इस जग में,खुशियाँ दिलाना है।
दीप जग मगा उठे,प्रेम उसे लगा बैठे।
कोख के उस बेटी को,धरती पे लाना है।
रिश्तेदारी निभाती वे,घर को संभालती है।
ऐसी हर बेटियों को,सम्मान कराना है।
नित नित आगे बढ़े,हर दम बेटियाँ जी।
ऐसी मेरी बेटियों के,मान को बढ़ाना है।
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रचनाकार- डिजेंद्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना , बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822