बेटियां
* गीत *
(तर्ज- न हम बेवफ़ा हैं न ……)
कम बेटियाँ हैं, नम बेटियाँ हैं…
ईश्वरका सब पर,करम बेटियाँ हैं…
1-बेटी तो रौनक होती है घर की।
रंगत है बिटिया माँकी नज़र की।।
अपने पिता का भरम बेटियाँ है…कम..
2-होती है बेटी सीधी व सच्ची।
बेटे से हर शय बेटी है अच्छी।।
बेटे जखम तो मल्हम बेटियाँ हैं…कम..
3-सारे जहाँ की आभा समेटी।
तब जाके रबने बनाई है बेटी।।
“शैलेन्द्र”दुनिया का दम बेटियाँ हैं..कम..
~शैलेन्द्र खरे”सोम”