बेटियाँ
सीधी-सीधी बात नहीं कहती हैं,
उन्हें चाहिए जो वो घुमा-फिरा कहती हैं,
नदी की चंचल धारा सी बहती हैं,
बेटियाँ तो,
घर आँगन के ईंट पत्थर में भी रहती हैं।
सीधी-सीधी बात नहीं कहती हैं,
उन्हें चाहिए जो वो घुमा-फिरा कहती हैं,
नदी की चंचल धारा सी बहती हैं,
बेटियाँ तो,
घर आँगन के ईंट पत्थर में भी रहती हैं।