बेटियाँ
फूल हैं बेटियाँ बाग हैं बेटियाँ।
नेह संगीत का राग हैं बेटियाँ।।
सृष्टि की सर्जना का यही मूल हैं।
शक्ति का पुंज हैं आग हैं बेटियाँ।।
✍️ शैलेन्द्र ‘असीम’
फूल हैं बेटियाँ बाग हैं बेटियाँ।
नेह संगीत का राग हैं बेटियाँ।।
सृष्टि की सर्जना का यही मूल हैं।
शक्ति का पुंज हैं आग हैं बेटियाँ।।
✍️ शैलेन्द्र ‘असीम’