बेज़ुबान जीवों पर
बेज़ुबान जीवों पर
सवार होकर की जाने वाली
यात्रा तफ़रीह कहलाती है,
तीर्थ-यात्रा नहीं।।
अगर आप अच्छे-ख़ासे हैं।
अशक्त हैं तो भाव-यात्रा करें,
शांति से घर बैठ कर।।
■प्रणय प्रभात■
बेज़ुबान जीवों पर
सवार होकर की जाने वाली
यात्रा तफ़रीह कहलाती है,
तीर्थ-यात्रा नहीं।।
अगर आप अच्छे-ख़ासे हैं।
अशक्त हैं तो भाव-यात्रा करें,
शांति से घर बैठ कर।।
■प्रणय प्रभात■