बेचैन जिंदगी
ज़िंदगी बेचैन होकर खामोशी के साथ आगे बढ़ रही है।
सांसें आहिस्ता ही सही जिंदगी की दहलीज चढ़ रही है।
कभी कुछ अपना लगता है कभी पराया सा,
कुछ यादें हैं जो सबको अपना मानने को लड़ रही है।
-सिद्धार्थ
ज़िंदगी बेचैन होकर खामोशी के साथ आगे बढ़ रही है।
सांसें आहिस्ता ही सही जिंदगी की दहलीज चढ़ रही है।
कभी कुछ अपना लगता है कभी पराया सा,
कुछ यादें हैं जो सबको अपना मानने को लड़ रही है।
-सिद्धार्थ