बेचूराम
पहिले आपन ईमान बेचलस
तब सरकारी सामान बेचलस!
फेर औरी कुछु जब ना मिलल
तअ जनता के अरमान बेचलस!!
सब कुछ आंखी के सामने भईल
बाकिर केहू ना समझ पावल!
एतना चालाकी से धीरे-धीरे
ऊ सगरी हिंदुस्तान बेचलस!!
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