बेगुनाह या गुनहगार-A Real Life Story-Part-1
✒️जीवन ?की पाठशाला ?️
पुरानी कथाओं के मुताबिक 25 दिसंबर यानी क्रिसमस डे के दिन ईसाई धर्म की स्थापना करने वाले प्रभु यीशु का जन्म माँ मरियम के यहां हुआ था. इसी खुशी के उपलक्ष्य में पूरी दुनिया में क्रिसमस डे मनाया जाता है, जीसस क्रिस्ट को भगवान का बेटा कहा जाता है- क्रिसमस का नाम भी क्रिस्ट से पड़ा !
क्रिसमस पहली बार 25 दिसंबर को 336 ईसवी में मनाया गया. यह रोमन सम्राट कॉन्सटेंटाइन के समय से मनाया जाता है, जो की सबसे पहले ईसाई रोमन सम्राट थे. इसकी औपचारिक घोषणा पोप जूलियस ने की थी कि हर साल 25 दिसंबर को यीशु के जन्म की खुशी मनाई जाएगी.
यूरोप में कुछ गैर ईसाई समुदाय के लोगों ने 25 दिसंबर को सूर्य की दिशा चेंज होने वाला दिन के रूप में सेलिब्रेट करना शुरू किया !
जीवन के सफर में एक ही चीज समझ आई की आने वाला प्रत्येक पल भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है ,अगला पल क्या लेकर आएगा ख़ुशी या गम -सफलता या असफलता -उतार या चढ़ाव -अर्श या फर्श कोई नहीं जानता
आज का राजा कब कल रंक हो जाये ,आज का रंक कब कल राजा बन जाये ,आप प्रसिद्द हो चुके राजनीतिज्ञों -धर्म गुरुओं -समाज सेवकों -उद्धोयगपतियों की जीवनी -उनके बारे में पड़ते हैं पर मेरे और आप जैसा एक आम आदमी कैसे जीता है -कैसे कैसे संघर्ष देखता है ,क्या जाने अनजाने गलतियां गुनाह करता है और सबसे बड़ी बात वक़्त के बुरा आने पर एक सबसे कड़वी सच्चाई जो सामने आती है वो यह की जब आपके अपने आपके ऊपर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं -आप पर फेलियर का ठप्पा लगाते हैं ,और ना जाने कैसे कैसे अविश्वसनीय कड़वे सच
इन्हीं के मद्देनजर मेरे द्वारा लिखित एक आम आदमी की सच्ची कहानी मेरी पहली पुस्तक बेगुनाह या गुनहगार-A Real Life Story-Part-1, के रूप में ,जल्द ही ही इस सच्ची यात्रा का दूसरा पार्ट आपके सामने होगा !
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Vikas Sharma
बेगुनाह या गुनहगार-A Real Life Story (by Vikas Sharma) – एक ऐसे इंसान दर्पण की सच्ची जीवन यात्रा है जो आज समय के उस दौर से गुजर रहा है जहाँ उसे खुद को ये नहीं पता की वो कल सुबह का सूर्योदय देखेगा या नहीं …,
लोगों की जिंदगी में उतार चढ़ाव आते हैं -नफा नुक्सान होता है -रिश्ते बनते बिगड़ते हैं पर जो कुछ दर्पण के साथ घटित हुआ या हो रहा है वो सबसे अलग है -वो जिन्दा है बहुत बड़ी बात है -कौनसी अदृश्य शक्ति ने उसको सम्हाल रखा है …?
बचपन से 48 वर्षों तक मृत आत्माओं से साक्षात्कार -सीधी बातचीत -एक बार नहीं दो बार नहीं उसके बाल्यावस्था में यौन शोषण का प्रयास अपनों द्वारा ही -अकेलेपन का दंश -शुरू से ही गलत लोगों का मिलना -राष्ट्रीय स्तर के राजनैतिक दलों एवं सामजसेवी संस्थाओं का पदाधिकारी होना – जल्दी विवाह -घर परिवार में राजनीती -पत्नी का बच्चों सहित घर छोड़ देना -घरवालों का अहंकार -व्यापार में एक के बाद एक नए -बड़े और सुनियोजित धोखे -एक ही शहर में 11 मकानों का बिक जाना -उसके ऊपर एक के बाद एक तांत्रिक प्रयोग -हमले ,नौकरी व व्यापार में सफलता के शिखर को छूना और धड़ाम से जमीन पर आ जाना -धरम और श्रद्धा में इतना बड़ा धोखा खा जाना की आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे की क्या इस कलयुग में भी कोई ऐसा शिष्य हो सकता है क्या -बिटीया की बेहतरीन शादी पर यहाँ भी धोखा -एक ऐसे राज का पर्दाफाश जो आपको रोने पर -सोचने पर मजबूर कर देगा -हर दुःख तकलीफ से भारी -अपनों से ही आंतरिक लड़ाई -और आज अर्श से फर्श पर ,सिर पर कर्जों का पहाड़ -49 वर्ष की उम्र में बुजुर्ग माँ बाप पत्नी बच्चों को छोड़कर एक अनजान राज्य -एक अनजान शहर की राह -अज्ञात वनवास ,समय की मार के कारण बेगुनाह गुनहगार बन जाना ,
जो दर्पण अपना जीवन अपने 7 जनों के परिवार के लिए नहीं बल्कि सात सौ -सात हजार -सात लाख -सात करोड़ लोगों के लिए सर्वस्व करना चाहता है ,जिसने अपने आपको अपने सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज ध्यानपुर को समर्पित कर रखा है आज वो मसाज पार्लर या औरतों की मसाज या उनको शारीरिक संतुष्ट करने वाले लोगों तक जाने की सोच रहा है पैसों के लिए -अपनी किडनी बेचने की सोच रहा है पैसों के लिए जिससे की वो अपने कर्जों से मुक्त होकर -सतगुरु का आश्रम मंदिर बनाना चाह रहा है -छोटी बिटिया का विवाह करना चाह रहा है और अपने परिवार की जायज अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करते हुए उनको सुखद सुरक्षित भविष्य देते हुए सतगुरु के मार्ग पर जीवन अर्पण करना चाह रहा है ,देखते हैं सतगुरु उस पर क्या रहमत करते हैं ,क्या दर्पण इस दलदल में जाने से बच पायेगा ?
क्या हुआ कैसे हुआ जानने के लिए पढ़िए -बेगुनाह या गुनहगार ,क्यूंकि 149/- रूपए खर्च कर आप इस पुस्तक को नहीं पढेंगें बल्कि अपना योगदान देकर 7 ज़िन्दगियों को बचाएंगे
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एक बात और मेरे पास पुस्तक को छपवाने के लिए पर्याप्त पूँजी /पैसे नहीं है इसलिए इसे E Book के रूप में प्रकाशित करवाया है , धन्यवाद् Amazon .अगर आपमें से कोई मेरी पुस्तकों को प्रकाशित करवाने में इच्छुक हों तो मैं उन्हें एक अच्छी डील दे सकता हूँ !
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क ? है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
?सुप्रभात ?
आपका दिन शुभ हो
स्वरचित एवं स्वमौलिक
विकास शर्मा'”शिवाया”
?जयपुर -राजस्थान ?