बेगाना शहर हो गया
**** बेगाना शहर हो गया *****
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बेगाना अपना शहर हो गया,
मुश्किल हर पल हर पहर हो गया
देखो तुम पीछे जरा ओ पथिक,
छोटा सा नाला अब नहर हो गया।
बिगड़ा – बिगड़ा हाल है देश का,
खाना – पीना भी जहर हो गया।
कैसी हल चल क्या हुआ माजरा,
बहता पानी अब ठहर हो गया।
आँखें सोई ही नहीं रात भर,
रात ढलते ही सहर हो गया।
मनसीरत बढ़ता रहा फासला,
कुदरत का कैसा कहर हो गया।
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सुखविंदर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)