बेखौफ नजर आता है
****** बेखौफ नजर आया है ********
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मुझे वो ख्वाब में बेखौफ नजर आया है
चाँद सा रौशन वो मदहोश नजर आया है
गमों के अंधकार में जो खोया खोया सा
अन्धेरी रात में वो चिराग नजर आया है
दिन के उजालों में वो था सहमा सहमा सा
गहरी नींद में पहरेदार नजर आया है
थोड़ी सी खनक से घबरा जाया करता था
पायल के घुंघरु सा बजता नजर आया है
चेहरे पर तबस्सुम कुछ दिन से गायब थी
मुख पर फ़िजाओं का साया नजर आया है
मनसीरत पर्दादारी में गुमसुम नजर आता
पर्दा उतरते ही वो मनोरम नजर आया है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)