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21 Mar 2022 · 1 min read

बेकरारी

ज्यों -ज्यों ढल रही है शाम -एे -ज़िंदगी ,
त्यों -त्यों बढती जाती है दिल -एे -बेकरारी ,
के कब मिलेगी मंजिल और कब उसे गले लगयेंगे हम .

Language: Hindi
Tag: शेर
376 Views
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