बेकरारी
ज्यों -ज्यों ढल रही है शाम -एे -ज़िंदगी ,
त्यों -त्यों बढती जाती है दिल -एे -बेकरारी ,
के कब मिलेगी मंजिल और कब उसे गले लगयेंगे हम .
ज्यों -ज्यों ढल रही है शाम -एे -ज़िंदगी ,
त्यों -त्यों बढती जाती है दिल -एे -बेकरारी ,
के कब मिलेगी मंजिल और कब उसे गले लगयेंगे हम .