“बूढ़े होने पर त्याग दिये जाते हैं ll
“बूढ़े होने पर त्याग दिये जाते हैं ll
एक घर के कई भाग किये जाते हैं ll
नाती-पोते दादी नानियों से दूर हैं,
लौ से जुदा चिराग़ किये जाते हैं ll
तानों के गोले बारूद मार-मारकर,
माँ-बाप के दिल दाग दिये जाते हैं ll
बुढ़ापे में फिर से गृहस्थी संभाल रहे हैं,
माँ-बाप को गृहस्थ विभाग दिये जाते हैं ll
जिन बुजुर्गों के तजुर्बों का दुनिया लोहा मानती है,
आजकल के बच्चों द्वारा उन्हें दिमाग दिये जाते हैं ll”