बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी लेकिन कुछ अपनो को औ
बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी लेकिन कुछ अपनो को और कुछ रिश्तों को रौंदने का हुनर कहाँ से लाते…
बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी लेकिन कुछ अपनो को और कुछ रिश्तों को रौंदने का हुनर कहाँ से लाते…