प्रेम हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
भाषाओं पे लड़ना छोड़ो, भाषाओं से जुड़ना सीखो, अपनों से मुँह ना
"हमारे दर्द का मरहम अगर बनकर खड़ा होगा
स्वतंत्रता दिवस की पावन बेला
तुम हो तो काव्य है, रचनाएं हैं,
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वह व्यवहार किसी के साथ न करें जो
खुद का नुकसान कर लिया मैने।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई,
“जहां गलती ना हो, वहाँ झुको मत
मौत से बढकर अगर कुछ है तो वह जिलद भरी जिंदगी है ll