!:::बुरी राहें चलना मत:::!
तारीफ़ों की आंच से पिघलना मत
चिनगारियों से कभी जलना मत।
बुरी राहें मंज़िल तक क्यों न जाएं,
साथ उनके कभी तुम चलना मत।
By-वि के विराज़
तारीफ़ों की आंच से पिघलना मत
चिनगारियों से कभी जलना मत।
बुरी राहें मंज़िल तक क्यों न जाएं,
साथ उनके कभी तुम चलना मत।
By-वि के विराज़