Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2022 · 1 min read

बुरी आदत की तरह।

मैं चाह कर भी उसे छोड़ सकता नहीं।
वो मुझमे बसा है बुरी आदत की तरह।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

Language: Hindi
Tag: शेर
300 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Taj Mohammad
View all

You may also like these posts

अ आ
अ आ
*प्रणय*
ग़ज़ल _ शबनमी अश्क़ 💦💦
ग़ज़ल _ शबनमी अश्क़ 💦💦
Neelofar Khan
यार नहीं -गजल
यार नहीं -गजल
Dr Mukesh 'Aseemit'
करके इशारे
करके इशारे
हिमांशु Kulshrestha
सदैव मेहनत करके ही आगे बढ़ें,
सदैव मेहनत करके ही आगे बढ़ें,
Ajit Kumar "Karn"
प्रदीप छंद
प्रदीप छंद
Seema Garg
अलिकुल की गुंजार से,
अलिकुल की गुंजार से,
sushil sarna
"साहस"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं और तुम
मैं और तुम
Vivek Pandey
प्रणय
प्रणय
Rambali Mishra
सरस कुंडलियाँ
सरस कुंडलियाँ
Ravi Prakash
लड़कियां क्रीम पाउडर लगाकर खुद तो गोरी हो जाएंगी
लड़कियां क्रीम पाउडर लगाकर खुद तो गोरी हो जाएंगी
शेखर सिंह
फासलों से
फासलों से
Dr fauzia Naseem shad
कलम के हम सिपाही हैं, कलम बिकने नहीं देंगे,
कलम के हम सिपाही हैं, कलम बिकने नहीं देंगे,
दीपक श्रीवास्तव
HITCLUB là cổng game bài trực tuyến đẳng cấp với trang chủ c
HITCLUB là cổng game bài trực tuyến đẳng cấp với trang chủ c
HIT CLUB
लाखों रावण पहुंच गए हैं,
लाखों रावण पहुंच गए हैं,
Pramila sultan
बाप की चाह
बाप की चाह
Ashwini sharma
मरूधर रा मिनखं
मरूधर रा मिनखं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मैंने उसे जुदा कर दिया
मैंने उसे जुदा कर दिया
Jyoti Roshni
शब्द केवल शब्द नहीं हैं वो किसी के लिए प्राण हैं
शब्द केवल शब्द नहीं हैं वो किसी के लिए प्राण हैं
Sonam Puneet Dubey
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
یہ وہ وقت ہے
یہ وہ وقت ہے
Otteri Selvakumar
बंदर मामा
बंदर मामा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
कृष्णकांत गुर्जर
दिये आँखो कें जलाये बैठी हूँ ...
दिये आँखो कें जलाये बैठी हूँ ...
Manisha Wandhare
पिता पर गीत
पिता पर गीत
Dr Archana Gupta
2430.पूर्णिका
2430.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जब जब हमको याद करोगे..!
जब जब हमको याद करोगे..!
पंकज परिंदा
जीवन
जीवन
पूर्वार्थ
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
shabina. Naaz
Loading...