बुरा जमाना
बुरा जमाना….(मुक्तक)
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कहते है लोग है बुरा यह जमाना
कहते है हम इसे कोरा बहाना।
जैसे को तैसा यहीं रीत जग की
होंगे हम जैसा वैसा ही जमाना।।
जमाने से हम नहीं हमसे जमाना
खुद को बदलते नहीं करते बहाना।
गलती भी करते और छुपाते हैं खुद को
यहीं फलसफा और यहीं है बहाना।।
दुनिया की रीत बुरा करना और सहना
अपनी बुराई कभी किसी से ना कहना।
हमारा क्या जाता है हमें क्या है करन
इसी पथ पे चलना और चलते ही रहना।।
जमाने की परवाह करना ही क्यों है
जमाने के संग-संग चलना हीं क्यों है।
बुरा है जमाना तो रहने दो उसको
जमाने की चिन्ता मरना ही क्यों है।।
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©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”