बुद्धिमान बनाम बुद्धिजीवी
संसार में दो तरह के लोग होते हैं- बुद्धिमान और बुद्धिजीवी। बुद्धिमान लोग वो होते हैं जो सदैव कुछ सीखने, जानने और उसे अपने जीवन में उतारने के लिए तत्पर रहते हैं । ऐसे लोग सदैव संतो , विद्वानों और अनुभव सिद्ध लोगों द्वारा कही गई बातों को ध्यान से सुनते हैं , सार तत्व को समझते हैं और उसका उपयोग अपने जीवन की समस्याओं को हल करने में करते हैं । बुद्धिमान लोग प्रश्न स्वयं से करते हैं और उनके उत्तर संतो , शास्त्रों और विद्वत जनों के कथनों में ढूंढते हैं । बुद्धिमान लोगों के लिए जीवन एक पहेली नहीं अपितु एक खोज होता है जिसमें उन्हें हर कदम पर आनंद का बोध होता है । इसके विपरीत बुद्धिजीवी लोग वो होते हैं जिन्हें अपने अल्प ज्ञान का अत्यधिक घमंड होता है । वह सदैव संतो , विद्वानों और अनुभवसिद्ध लोगों द्वारा कही गई बातों पर प्रश्न खड़े करते हैं और उन्हें चुनौती देते हैं । स्वयं को ज्ञानी सिद्ध करने के लिए संतो और शास्त्रों की खुलेआम आलोचना करते हैं । वो शब्दों में निहित सार तत्व को नहीं समझते सिर्फ शब्दों के मकड़जाल में उलझ कर रह जाते हैं । वह अपने वाक् आडम्बर से यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे देश और समाज के बहुत बड़े हितैषी हैं । लेकिन यह लोग एक तरह की हीन भावना से ग्रस्त स्वार्थी प्रकृति के लोग होते हैं । अपने को श्रेष्ठ और बेहतर सिद्ध करने के लिए सदैव किसी न किसी से उलझते रहते हैं । इनके लिए जीवन एक संघर्ष होता है और ये अपना बहुमूल्य जीवन व्यर्थ के संघर्ष में निकाल देते हैं ।
बुद्धिमान लोगों का कर्तव्य बोध बहुत दृढ़ और स्पष्ट होता है । वो अपने जीवन को संवारने के साथ-साथ कई अन्य व्यक्तियों के जीवन को भी संवारते हैं । बुद्धिजीवियों का अधिकार बोध बहुत दृढ़ और अडिग होता है । इसके कारण वो अपना जीवन तो बर्बाद करते ही हैं दूसरों का जीवन भी बर्बाद कर देते हैं । अतः अपने जीवन को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि हम सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि हमारी वृत्ति किस तरह की है ।
… शिवकुमार बिलगरामी