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27 May 2024 · 1 min read

बुढ़ापा अभिशाप नहीं वरदान है

बुढ़ापा उम्र का वह पडाव है,
जहाँ समाज , परिवार के लिए
तुम्हारी उपयोगिता कम होने लगती है।

लोग तुमसे कतराने लगते है।
अपने भी पराये नजर आने लगते है।

इस मशीनी और भागती दुनियाँ में ,
जहाँ हर शख्श बहुत तेज दौड़ता है,
अनुभव के आरामदायक वृक्ष के
नीचे भला कौन बैठता है।

बुढ़ापा बाजारी जीवन की वो अनचाही वस्तु है,
जिसका कोई ज्यादा मोल नही है।
जो इस अनमोल का मोल समझे,
ऐसा कोई तोल नही है।

सभी वृद्धजनों से मेरा आग्रह है कि,

अपने हाथ में ही अपने जीवन की कमान रखो।
बुढ़ापा अभिशाप नही वरदान है, ये ध्यान रखो।

तुम्हारे पास अनुभव का अपार और अनमोल खजाना है।
तुम जमाने से नहीं, तुम से ही ये जमाना है।

बुढ़ापा, उम्र की धूप में तपा खरा सोना है।
तुम्हारे सामने दुनियाँ का हर जेवर बौना है।

तुम पतझड़ नहीं, एक विशाल कल्पवृक्ष हो।
तुम जीवन सागर मंथन से निकले अमृतकलश हो।

अभागे तो वो है, जो तुम्हें लाचार समझते है।
जो रिश्तो को केवल एक बाजार समझते हैं।

सभी वृद्ध जनो को मेरा चरण स्पर्श

गिरीश गुप्ता
मौलिक व स्वरचित

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