बुढउती में पति-पत्नी के साथ(छप्पय/उल्लाला)
विधा-छप्पय
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पति पत्नी के प्यार,हमेशा गाढ रहेला।
सात जनम के साथ,बतावत ग्रन्थ कहेला।
जेकर रहे सुभागि,बुढ़उती साथे कटि जा।
मन में सेवा भाव,हरा जाङॅंर के डटि जा।
आपस में सुख दुख बॅंटा,टहल टिकोरा साथ में।
माॅंङि फारि सेनुर भरें,कंघा लिहले हाथ में।।
विधा-उल्लाला छन्द
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गइल ऑंखि से ज्योति बा,देखि सके ऐना कहाॅं।
अपनी बुढ़िया के बुढ़ा,भरें माॅंङि ईङुर इहाॅ।।
**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**