बुझी नहीं है आज तक, आजादी की आग ।
बुझी नहीं है आज तक, आजादी की आग ।
धधक रहे हैं आज भी, अंगारों से राग ।
भगत तिलक आजाद थे , आजादी के रंग –
चीख रहा है आज भी, जलियाँवाला बाग ।
सुशील सरना /
बुझी नहीं है आज तक, आजादी की आग ।
धधक रहे हैं आज भी, अंगारों से राग ।
भगत तिलक आजाद थे , आजादी के रंग –
चीख रहा है आज भी, जलियाँवाला बाग ।
सुशील सरना /